दोस्ती कितने प्रकार.की होती है ?

                दोस्ती के कई रंग और रूप हैं। हर दोस्ती अपने आप में अलग और अनूठी होती है...जानिए दोस्ती के कुछ अलग अंदाज और रंग.. नजर डालते हैं दोस्ती के अनूठे प्रकारों पर और दुनिया के ढेर सारे रंगों में से कुछ रंगों की आज सैर करते हैं।
 

व्यावसायिक दोस्ती - आपसी सामंजस्य और अटूट भरोसे के बल पर रची हुई दोस्ती का एक ये भी रूप है। मिलजुलकर एक ही व्यवसाय करने वाले दो दोस्त किसी आत्मीय सगे-संबंधी से कम नहीं रह जाते, बल्कि कई मामलों में तो उनसे भी आगे निकल जाते हैं। अब आप उन्हें दोस्त कहें या पार्टनर, आपकी मर्जी।

सोशल साइट्स की दोस्ती - तकनीक के परों पर सवार इस दोस्ती ने मीलों की दूरियों को पटाया है। सन्‌ 2014 में सन्‌ 1980 के बिछड़े दोस्तों को भी मिलाया है। एसएमएस और मिस कॉल की इस दोस्ती को आगे बढ़ाया इंटरनेट की दोस्ती ने। आज फेसबुक, ट्विटर और ईमेल के जरिए देशकाल और सीमाओं से भी परे है दोस्ती। जहां आपकी 'वॉल' पर आपके पचहत्तर साल के 'दादू' की फ्रेंड्स रिक्वेस्ट के साथ दीदी की सात वर्षीय बिटिया की फ्रेंड्स रिक्वेस्ट भी शामिल है।

स्कूल-कॉलेज की दोस्ती - कॉपियों-किताबों में रखी रंगीन फुद्दियों (पंखों), विद्या की पत्तियों और पेंसिल की छीलन से लेकर स्टीकरों, 'कॉन्ट्री' की चाय और समोसों, आधी रात को की गई नोट्स की जुगाड़, असाइनमेंट के कवर को हटाकर की गई फोटोकॉपी।

अड़ोस-पड़ोस की दोस्ती - भर गर्मी में घर की छत पर साड़ी या दुपट्टे की छांंह में रोटा-पानी करती नजर आती है तो कभी संंकरी-सी मोहल्ले की गली में साइकल को स्टम्प बना दिल को क्लीनबोल्ड कर जाती है ये दोस्ती। बड़े होते हाथों में छोटी-सी कटोरी थाम चीनी या अचार की गरज से कभी पड़ोस का दरवाजा खटखटाती तो कभी किसी एक बहन की शादी में भागदौड़ करते तमाम अंकलों, आंटियों, दीदीयों, भाभियों और भैयाओं के चेहरे पर झांक जाती है ये दोस्ती। गरज ये कि किसी एक छत पर सूखता अमचूर पर जिस तरह मोहल्ले के हर बच्चे का हक है... बस इसी तरह इस दोस्ती पर भी किसी एक का अधिकार नहीं है।

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