क्या भारत में मुसलमानो ने 800 वर्षो तक शासन किया है?

                   क्या भारत में मुसलमानो ने 800 वर्षो तक शासन किया है? सुनने में यही आता है पर न कभी कोई आत्ममंथन करता है और न इतिहास का सही अवलोकन करता है । आइये प्रारम्भ करते है मुहम्मद बिन कासिम से। भारत पर पहला आक्रमण मुहम्मद बिन ने 711 ई में सिंध पर किया। राजा दाहिर पूरी शक्ति से लड़े और मुसलमानो के धोखे के शिकार होकर वीरगति को प्राप्त हुए।


                  दूसरा हमला 735 में राजपूताना पर हुआ जब हज्जात ने सेना भेजकर बाप्पा रावल के राज्य पर आक्रमण किया। वीर बाप्पा रावल ने मुसलमानो को न केवल खदेड़ा बल्कि अफगानिस्तान तक मुस्लिम राज्यो को रौंदते हुए अरब की सीमा तक पहुँच गए। ईरान अफगानिस्तान के मुस्लिम सुल्तानों ने उन्हें अपनी पुत्रिया भेंट की और उन्होंने 35 मुस्लिम लड़कियो से विवाह करके सनातन धर्म का डंका पुन बजाया। बाप्पा रावल का इतिहास कही नहीं पढ़ाया जाता यहाँ तक की अधिकतर इतिहासकर उनका नाम भी छुपाते है। गिनती भर हिन्दू होंगे जो उनका नाम जानते है। दूसरे ही युद्ध में भारत से इस्लाम समाप्त हो चूका था। ये था भारत में पहली बार इस्लाम का नाश ।

                  अब आगे बढ़ते है गजनवी पर। बाप्पा रावल के आक्रमणों से मुसलमान इतने भयक्रांत हुए की अगले 300 सालो तक वे भारत से दूर रहे। इसके बाद महमूद गजनवी ने 1002 से 1017 तक भारत पर कई आक्रमण किये पर हर बार उसे भारत के हिन्दू राजाओ से कड़ा उत्तर मिला। महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर भी कई आक्रमण किये पर 17 वें युद्ध में उसे सफलता मिली थी। सोमनाथ के शिवलिंग को उसने तोडा नहीं था बल्कि उसे लूट कर वह काबा ले गया था जिसका रहस्य आपके समक्ष जल्द ही रखता हूँ । यहाँ से उसे शिवलिंग तो मिल गया जो चुम्बक का बना हुआ था पर खजाना नहीं मिला।

                  भारतीय राजाओ के निरंतर आक्रमण से वह वापिस गजनी लौट गया और अगले 80 सालो तक कोई भी मुस्लिम आक्रमणकारी भारत पर आक्रमण न कर सका। वर्ष 1098 में मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज राज चौहान को 16 बार युद्ध के बाद परास्त किया और अजमेर व् दिल्ली पर उसके गुलाम वंश के शासक जैसे कुतुबुद्दीन इल्तुमिश व् बलबन दिल्ली से आगे न बढ़ सके। उन्हें हिन्दू राजाओ के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।

                   पश्चिमी द्वारा खुला रहा जहाँ से बाद में ख़िलजी लोधी तुगलक आदि आये । ख़िलजी भारत के उत्तरी भाग से होते हुए बिहार , बंगाल पहुँच गया। कूच बिहार व् बंगाल में मुसलमानो का राज्य हो गया पर बिहार व् अवध प्रदेश मुसलमानो से अब भी दूर थे। शेष भारत में केवल गुजरात ही मुसलमानो के अधिकार में था। अन्य भाग स्वतन्त्र थे।

                  1526 में राणा सांगा ने इब्राहिम लोधी के विरुद्ध बाबर को बुलाया। बाबर ने लोधियों की सत्ता तो उखाड़ दी पर वो भारत की सम्पन्नता देख यही रुक गया और राणा सांगा को उसमे युद्ध में हरा दिया। चित्तौड़ तब भी स्वतंत्र रहा पर अब दिल्ली मुगलो के अधिकार में थी। हुमायूँ दिल्ली पर अधिकार नहीं कर पाया पर उसका बेटा अवश्य दिल्ली से आगरा के भाग पर शासन करने में सफल रहा। तब तक कश्मीर भी मुसलमानो के अधिकार में आ चूका था।

                  अकबर पुरे जीवन महाराणा प्रताप से युद्ध में व्यस्त रहा जो बाप्पा रावल के ही वंशज थे और उदय सिंह के पुत्र थे जिनके पूर्वजो ने 700 सालो तक मुस्लिम आक्रमणकारियो का सफलतापूर्वक सामना किया। जहाँगीर व् शाहजहाँ भी राजपूतो से युद्धों में व्यस्त रहे व् भारत के बाकी भाग पर राज्य न कर पाये। दक्षिण में बीजापुर में तब तक इस्लाम शासन स्थापित हो चुका था। औरंगजेब के समय में मराठा शक्ति का उदय हुआ और शिवाजी महाराज से लेकर पेशवाओ ने मुगलो की जड़े खोद डाली।

                  शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिंदवी स्वराज्य को बाजीराव पेशवा ने भारत में हिमाचल बंगाल और पुरे दक्षिण में फैलाया। दिल्ली में उन्होंने आक्रमण से पहले गौरी शंकर भगवान् से मन्नत मांगी थी की यदि वे सफल रहे तो चांदनी चौक में वे भव्य मंदिर बनाएंगे जहाँ कभी पीपल के पेड़ के नीचे 5 शिवलिंग रखे थे। बाजीराव ने दिल्ली पर अधिकार किया और गौरी शंकर मंदिर का निर्माण किया जिसका प्रमाण मंदिर के बाहर उनके नाम का लगा हुआ शिलालेख है।

                 बाजीराव पेशवा ने एक शक्तिशाली हिन्दुराष्ट्र की स्थापन की जो 1830 तक अंग्रेजो के आने तक स्थापित रहा। मुगल सुल्तान मराठाओ को चौथ व कर देते रहे और केवल लालकिले तक सीमित रह गए। और वे तब तक शक्तिहीन रहे जब तक अंग्रेज भारत में नहीं आ गए।

                 1760 के बाद भारत में मुस्लिम जनसँख्या में जबरदस्त गिरावट हुई जो 1800 तक मात्र 7 प्रतिशत तक पहुँच गयी थी। अंग्रेजो के आने के बाद मुसलमानो को संजीवनी मिली और पुन: इस्लाम को खड़ा किया गया ताकि भारत में सनातन धर्म को नष्ट किया जा सके इसलिए अंग्रेजो ने 50 साल से अधिक समय से पहले ही मुसलमानो के सहारे भारत विभाजन का षड्यंत्र रच लिया था । मुसलमानो के हिन्दू विरोधी रवैये व उनके धार्मिक जुनून को अंग्रेजो ने सही से प्रयोग किया।

                  असल में पूरी दुनिया में मुस्लिम कौम सबसे मूर्ख कौम है जिसे कभी ईसाइयो ने कभी यहूदियो ने कभी अंग्रेजो ने अपने लाभ के लिए प्रयोग किया। आज उन्ही मुसलमानो को पाकिस्तान में हमारी एजेंसीज अपने लाभ के लिये प्रयोग करती है जिस पर अधिक जानने के लिए अगली पोस्ट की प्रतीक्षा करे। ये झूठ इतिहास क्यों पढ़ाया गया ?

                   असल में हिन्दुओ पर 1200 सालो के निरंतर आक्रमण के बाद भी मुस्लिम राज्य स्थापित नहीं हो पाया । जब भारत पर इस्लामिक शासन स्थापित नहीं हुआ और ना ही अंग्रेज इस देश को पूरा समाप्त कर सके तो उन्होंने शिक्षा को अपना अस्त्र बनाया और इतिहास में फेरबदल किये । अब हिन्दुओ की मानसिकता को बस इतना बताना होगा की तुम गुलाम हो इसीलिए शिक्षा में बदलाव हुए ।

                    लगातार जब यही भाव हिन्दुओ में होगा तो वे स्वयं को कमजोर और अत्याचारी को शक्तिशाली समझेंगे। अत: भारत के हिन्दुओं को मानसिक गुलाम बनाया गया जिसके लिए झूठे इतिहास का सहारा लिया गया । आज परिणाम सामने है। लुटेरे और चोरो को आज हम बादशाह, सुलतान नामो से पुकारते हैं उनके नाम पर सड़के बनवाते हैं उनके नाम पर शहरो के नाम रखे जाते हैं , और उसका कोई हिन्दू विरोध भी नहीं करता जो बिना गुलाम मानसिकता के संभव नहीं ।

                     इसलिए इतिहास बदलो, मन बदलोऔर गुलाम बनाओ। यही आज तक होता आया है। जिसे हमने मित्र माना वही अंत में हमारी पीठ पर वार करता है। इसलिए झूठे इतिहास और झूठे मित्र दोनों से
सावधान रहने की आवश्यकता है।

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