ऊॅं शब्द का अर्थ और उसका महत्तव

                 हिंदू धर्म में ऊॅं शब्द का काफी महत्तव है। हर पूजा में या किसी भी मंत्र से पहले ऊॅं शब्द का उच्चारण आता है। यहां तक की हम किसी भी भगवान या देवी देवता के नाम का जाप करते हैं तो उसकी शुरूआत भी ऊॅं शब्द के उच्चारण से होती है। संस्कृत में तो इस शब्द को ब्रह्मांड का सबसे पहला स्वर माना गया है। उपनिषदों में भी ऊॅं शब्द के महत्तव का वर्णन विस्तार से मिलता है। कहते हैं कि ऊॅं शब्द हमें ईश्वर से जोडता है।
 

                 मंड्यूकया उपनिषद में भी ऊॅं शब्द का महत्तव और उसका अर्थ समझाया गया है। इसमें शब्द का अर्थ है जागृत होना, जिसमें हम हर चीज हमारे मस्तिष्क और इंद्रियों के माध्यम से महसूस कर सकते हैं। शब्द का अर्थ है स्वप्न स्थिति, जिसमें हमें आवक अनुभव होता है। तीसरा शब्द है जिसका अर्थ बताया गया है गहरी निद्रा अवस्था। इस अवस्था में हमारे मन में कोई इच्छा शेष नहीं रह जाती है।

                 एक अन्य मान्यता के अनुसार ऊॅं शब्द ब्रह्मा, विष्णु और महेश से संबंधित है। इस शब्द के तीनों अक्षर त्रिदेवों से संबंधित हैं। इस शब्द में दैविक शक्ति निहित है, जिसमें ब्रह्मांड में जीवन की शुरूआत, और ब्रह्मांड का विनाशा है। जब कोई ऊॅं शब्द का उच्चारण करता है तो कंपन्न की तीव्रता 432 Hz होती है। यह उतनी ही फ्रिक्वेंसी है जो कि प्रकृति में हर समय मौजूद रहती है।

                जब हम ऊॅं शब्द का उच्चारण करते हैं तो हमारे अंदर का वाइब्रेशन ब्रह्मांड के वाइब्रेशन से मिलता है। यह सार्वभौमिक कंपन्न हमें अपनी चेतन अवस्था से दिव्यता से जोडता है, जो कि हमे हमारा सत्य जानने में मददगार होता है।

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