आइये जानते हैं चप्पल का इतिहास

                चप्पल ने दुनिया भर में आम जिंदगी को बेहद आसान बनाया है। घर पर या बाहर कहीं भी जाना हो, फटाक से चप्पल पहनी और चल दिये। चप्पल आज दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने और इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स में शामिल है। हर साल 20 करोड़ से ज्यादा हवाई चप्पलें बनती हैं। चप्पल फैशन से कभी बाहर नहीं निकली। हर बार कुछ सालों के बाद नए लुक की चप्पल आती है. बाथरूम जाना हो, टहलना हो या फिर दफ्तर या पार्टी में जाना हो, अब हर मौके के लिए खास चप्पलें हैं। तो आइये जानते हैं चप्पल का इतिहास और अपने इस हमसफ़र को थोड़ा नज़दीक से जानते हैं।

 
                शोधकर्ताओं का मानना है कि चप्पल का आविष्कार 4,000 ईसा पूर्व में मिस्र में हुआ। धीरे धीरे यह दुनिया के दूसरे हिस्सों में फैली. प्राचीन मिस्रवासियों ने पेड़ की छाल और लकड़ी का इस्तेमाल कर चप्पल बनाई। मिस्र से निकली चप्पल अलग अलग इलाकों में बदलती गई। प्राचीन भारत में लकड़ी की चप्पल बनाई गई, जिन्हें चरण पादुका भी कहा जाता है। वहीं अफ्रीका के मसाई समुदाय ने जानवरों की चमड़ी से चप्पल बनाई। अमेरिकी महाद्वीप के मूल निवासियों ने पेड़ का छाल का इस्तेमाल किया। 

                 आविष्कारों के लिए मशहूर ग्रीक और रोमन सभ्यता ने चप्पल में क्रांतिकारी बदलाव किये। इस काल में लकड़ी और चमड़े का इस्तेमाल कर आरामदायक और टिकाऊ चप्पलें बनाई गई. ग्रीक चप्पलें एड़ी वाली थी, वहीं रोमन चप्पलें सपाट और फीते वाली। 

                 आज हम जिस चप्पल को जानते हैं वो हल्की, सस्ती और बेहद आरामदायक है। सैकड़ों साल तक चप्पलें सिर्फ संभ्रात लोग पहन सकते थे क्योंकि उन्हें बनवाना पड़ता था। लेकिन जापान ने इस तस्वीर को बदल दिया। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में जापान में चमड़े, पौधे के रेशे और रबर से चप्पल बनने लगीं जिसे जोड़ी कहा जाता था। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कुछ अमेरिकी सैनिक जापानी चप्पलें अपने साथ वापस लेकर आए। इसके बाद धीरे धीरे रबर की चप्पलें फैशन सा बन गईं। 

                 आज कल की आम चप्पलों को हवाई चप्पल कहा जाता है। साल 1962 में ब्राजील की कंपनी अल्पारगाटस ने जबरदस्त किस्म की रबर की चप्पल बनाई। इसे हवाईयंस नाम दिया गया. बस तब से यह चप्पल दुनिया भर में फैल गई।

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