भगवान शिव का ये मंदिर दिन में दो बार गायब हो जाता है !

               वडोदरा से कुछ दूरी पर एक ऐसा मंदिर है जो दिन में दो बार नजरों से ओझिल हो जाता है। यह मंदिर जंबूसर तहसील के कावी कंबोई गांव में है। यह मंदिर भगवान शिव का है। स्तंभेश्वर नाम का यह मंदिर दिन में दो बार सुबह और शाम को पलभर के लिए ओझल हो जाता है। ओझल होने के बाद कुछ देर बाद यह अपनी जगह पर वापस जाता है। ऐसा ज्वार-भाटा उठने के कारण होता है। इसके चलते आप मंदिर के शिवलिंग के दर्शन तभी कर सकते हैं, जब समुद्र में ज्वार कम हो।
  

ज्वार में शिवलिंग हो जाता है जलमग्न 

               आप जानकर हैरान होंगे कि ज्वार के समय शिवलिंग पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है। उन हालातों में इस मंदिर तक कोई व्यक्ति नहीं पहुंच सकता। यह आज से बरसों से होता आ रहा है। अरब सागर के मध्य कैम्बे तट पर स्थित मंदिर में सागर में समाने से पहले भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

मान्यता पौराणिक कथाओ के अनुसार :-

                स्कंदपुराण के अनुसार शिव के पुत्र कार्तिकेय छह दिन की आयु में ही देवसेना के सेनापति नियुक्त कर दिये गये थे | इस समय ताड़कासुर नामक दानव ने देवताओं को आतंकित कर रखा था | देवता, ऋषि-मुनि और आमजन सभी उसके अत्याचार से परेशान थे| ऐसे में भगवान कार्तिकेय ने अपने बाहुबल से ताड़कासुर का वध कर दिया , उसके वध के बाद कार्तिकेय को पता चला कि ताड़कासुर भगवान शंकर का परम भक्त था | यह जानने के बाद कार्तिकेय काफी व्यथित हुए | फिर भगवान विष्णु ने कार्तिकेय से कहा कि वे वधस्थल पर शिवालय बनवाएं , इससे उनका मन शांत होगा | भगवान कार्तिकेय ने ऐसा ही किया, फिर सभी देवताओं ने मिलकर महिसागर संगम तीर्थ पर विश्वनंदक स्तंभ की स्थापना की ,जिसे आज स्तंभेश्वर तीर्थ के नाम से जाना जाता है |

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