पहले क्या खत्म होगा - पानी या पेट्रोल ?

              लातूर का नाम कुछ समय पहले शायद ही'किसी ने सुना होगा। एक ऐसा प्रदेश जो कि अब भारत के जल संकट का सबसे बड़ा उदाहरण बन गया है। कोई भी व्यक्ति न ही लातूर जाना चाहेगा और न ही चाहेगा कि उसे कभी इस तरह की समस्या का सामना करना पड़े। आज जब देशवासी बुलेट ट्रैन के सपने देख रहें है, वहीं इस सूखा ग्रस्त इलाके के लोग पानी वाली ट्रैन की राह देखते हैं।

               लातूर के इलाके के एक वीडियो को लोगों ने खूब देखा जिसमें एक बूढ़ा आदमी चारपाई पर बैठ कर नहा रहा है और पानी को नीचे पड़े एक बर्तन में इकट्ठा कर रहा है ता कि उस पानी को दोबारा इस्तेमाल कर सके। ये भले ही एक घटना है मगर अगर पानी ऐसे ही कम होता गया तो ये सब का नित्य कर्म होगा। मुझे एक और वीडियो याद आता है जिसमें सलमा हयेक नाम की एक विदेशी स्टार कीड़ों को खाती है और कहती है कि आने वाले समय में भोजन का संकट खड़ा हो जायेगा तो दुनिया का बड़ा हिस्सा इसी तरह कीड़ों को खा कर पेट भरेगा। मगर पानी को तो कोई विकल्प हो ही नहीं सकता।

               कुछ समय पहले जब दुनिया के सभी बुद्धिजीवी इस बात की भविष्यवाणी कर रहे थे कि तीसरा विश्व युद्ध निश्चित ही पानी के लिए होगा तो सभी कानों में ऊँगली दबाए हँस रहे थे क्योंकि हमें पानी की कोई कदर ही नहीं थी और अब जब पानी पर पहरा लगा तो सभी की हंसी भी उनके गले के साथ ही सूख गई। सभी लोग सिर्फ पेट्रोल बचने के लिए ही चिंतित थे। पानी के बारे में तो'किसी ने सोचा भी न था कि पहले क्या खत्म होगा - पानी या पेट्रोल ? टीवी चैनलों पर सिर्फ यही दिखता था कि पेट्रोल कैसे बचाएँ ? हमरी अगली पीढ़ी हमारे बारे में क्या सोचेगी अगर हमने सारा तेल खुद ही खत्म कर दिया ?
             
             दोस्तों ! पेट्रोल के बिना तो दुनिया की कल्पना की'जा सकती है मगर पानी के बिना नहीं। जल ही जीवन है। इसे बचाना ही सझदारी है। पानी को बचाने की लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यक्ता है। ये काम  अकेले के बीएस का नहीं। 

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