ताज महल की इन 7 सच्चाईयाँ को नहीं जानते हैं आप !


                आगरा का ताजमहल भारत की शान और प्रेम का प्रतीक चिह्न माना जाता है। उत्तरप्रदेश का तीसरा बड़ा जिला आगरा ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। मुगलों का सबसे पसंदीदा शहर होने के कारण ही उन्होंने ‍दिल्ली से पहले आगरा को अपनी राजधानी बनाया। इतिहास के अनुसार इब्राहिम लोदी ने इस शहर को सन् 1504 में बसाया था। जिस समय इस शहर की स्थापना की गई, उस समय किसी ने यह कल्पना नहीं की होगी कि यह शहर पूरे विश्व में अपनी खूबसूरती के लिए परचम लहराएगा। जिसे आज भी दुनिया के सात अजूबों में शुमार किया जाता है। ताज महल में हर साल एक करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचते हैं। सभी वहां का इतिहास जानना चाहते हैं। वे गाइड से घंटों ताज के बारे में जानकारी लेते हैं। फिर भी कुछ ऐसे तथ्‍य हैं जो पर्यटक जान नहीं पाते हैं। ये तथ्य इस प्रकार है ...
  • दुनिया के कई आर्किटेक्ट ने ताजमहल की जांच की है। इसका हर हिस्‍सा दूसरे हिस्‍से के ठीक बराबर है। लेकिन, इसमें भी एक गलती मिली। मुख्य इमारत में यमुना की ओर संगमरमर की दीवारों में बने नक्काशीदार पिलरों में से एक पिलर का डिजायन अलग है। 11 पिलर में से सिर्फ एक का डिजायन प्लेन गोल है और बाकी तिकोने आकार के कटिंग का डिजायन है। विश्व के कोने कोने से 20 हजार मंजे हुए कारीगरों की 20 साल की मेहनत में सिर्फ यही एक गलती मानी जाती है।
  • ब्रिटिश शासन के दौरान मुख्‍य स्मारक के बगल का मेहमानखाना (गेस्ट रूम) किराए पर दिया जाता था। इसमें नव विवाहित अंग्रेज कपल सुहागरात मनाते थे। इसके लिए मेहमानखाने में काफी बदलाव किया गया था। इसका जिक्र इतिहासकार राजकिशोर राजे अपनी पुस्‍तक 'तवारीख ए आगरा' में किया है। इनके अनुसार, 1857 में बहादुरशाह जफर के विद्रोह के बाद यहां की सुरक्षा बढ़ाई गई थी। ताजमहल में तोप भी लगाए गए थे। इससे अंग्रेजों का खर्च बढ़ गया था। इस खर्च की थोड़ी-बहुत भरपाई मेहमानखाने को किराए पर देकर होती थी।
  • ताज महल में एक रॉयल गेट है। कैंपस में जाने पर उसके गुंबद के ठीक नीचे से ताज महल की पहली झलक मिलती है। यहां से कदम बढ़ाने पर ताजमहल को बड़ा होता हुआ और कदम पीछे करने पर छोटा होता हुआ देखा जा सकता है।
  • शाहजहां और मुमताज के खाने की जांच के लिए खास बर्तन था। इसका नाम 'जहर परख रकाबी' है। जहर मिला भोजन मिलाते ही यह रंग बदला देता है। बर्तन रंग नहीं बदल सकता तो यह खुद टूट जाता है। यह आज भी म्यूजियम में रखा हुआ है।
  • ताज महल के लिए मकराना के खदान से संगमरमर मंगवाने के लिए आमेर के राजा जय सिंह को भेजा गया फरमान भी यहां मौजूद है। यह म्यूजियम ताजमहल परिसर में जलमहल नामक इमारत में बना हुआ है।
  • ताजमहल परिसर में छह कब्रें हैं। संगमरमर के मुख्‍य स्मारक में शाहजहां और मुमताज की कब्र है। जबकि इसके चार तरफ 4 बेगम का कब्र है। शाहजहां की पत्‍नी अकबरी बेगम उर्फ इजून्निसा, फतेहपुरी बेगम सरहंदी बेगम और मुमताज की प्रधान सेविका सतिउन्‍नीसा की कब्र है। इन कब्रों को सहेली बुर्ज का नाम दिया गया था। यह बुर्ज लाल पत्‍थर का बना हुआ है और गुंबद संगमरमर का है।
  • ताजमहल में जाने पर पर्यटकों को संगमरमर की जाली से घिरी हुई शाहजहां व मुमताज की कब्रें दिखती हैं। असल में ये कब्रें नकली हैं। इसके ठीक नीचे तहखाने में असली कब्रें बनी हुई हैं। यहां जाने का रास्‍ता साल में सिर्फ तीन दिन शाहजहां के उर्स के दौरान खुलता है। इस बार तीन से पांच मई तक तहखाना आम पर्यटकों के लिए खुला रहा।

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